पंचायत सीजन 4 रिव्यू: क्या इस बार ‘फुलेरा’ की कहानी ने कर दिया निराश?
अमेज़न प्राइम वीडियो की पॉपुलर वेब सीरीज़ ‘पंचायत’ का चौथा सीजन आखिरकार रिलीज़ हो चुका है। जितेंद्र कुमार, नीना गुप्ता और रघुवीर यादव जैसे दमदार कलाकारों की वजह से इस सीरीज़ से फैंस की उम्मीदें हर बार आसमान छूती हैं। लेकिन इस बार रिलीज़ के बाद कई दर्शकों का कहना है कि सीजन 4 ने उन्हें निराश किया।
सीजन 4 की कहानी कैसी है?
सीजन 4 की कहानी वहीं से शुरू होती है जहां पिछला सीजन खत्म हुआ था। सचिव जी यानी अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) की फुलेरा गांव में वापसी और वहां की राजनीति, विकास और व्यक्तिगत जीवन की उलझनों को दिखाया गया है। हालांकि इस बार कहानी में गहराई के बजाय खिंचाव (drag) ज्यादा महसूस हुआ। कई एपिसोड्स में ऐसा लगा जैसे कहानी को जबरदस्ती लंबा किया गया है।
एक्टिंग परफॉर्मेंस
नीना गुप्ता (मुखिया) और रघुवीर यादव (प्रधान जी) की एक्टिंग हमेशा की तरह सधी हुई है। जितेंद्र कुमार ने भी अपने किरदार को बखूबी निभाया लेकिन स्क्रिप्ट की कमजोरी के चलते उनका कैरेक्टर उतना प्रभावशाली नहीं लग पाया। प्रह्लाद चौहान (फैसल मलिक) का किरदार पहले जितना इमोशनल इम्पैक्ट नहीं छोड़ पाया।
सीजन 4 में क्या कमी रही?
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स्क्रिप्ट का कमजोर होना: पहले तीन सीजन की तरह इस बार स्क्रिप्ट में कसाव नहीं था।
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लंबा खिंचाव: कई सीन्स जबरदस्ती जोड़े गए लगे।
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फिनाले का इम्पैक्ट: आखिरी एपिसोड दर्शकों को इम्प्रेस करने में नाकाम रहा।
क्या कुछ अच्छा भी था?
बेशक, फुलेरा गांव की रियल लाइफ फील, कैमरे का शानदार वर्क और ग्रामीण राजनीति का असली चेहरा एक बार फिर दर्शकों को गांव की गलियों में घुमा लाता है। सीरीज़ का बैकग्राउंड म्यूज़िक भी अच्छा है लेकिन कहानी की रफ्तार को नहीं बचा पाया।
फैंस क्या कह रहे हैं?
कुछ फैंस का कहना है कि इस बार पंचायत ने दिल नहीं जीता। वहीं कुछ दर्शक अब भी इसे लाइट कॉमेडी और सटीक गांव की राजनीति दिखाने के लिए सराह रहे हैं।
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