दुनिया भर में महंगाई ने हर आम आदमी की कमर तोड़ दी है। चाहे अमेरिका हो, यूरोप हो या एशिया – हर जगह लोग बढ़ती कीमतों से परेशान हैं। भारत में भी रोज़मर्रा की चीज़ों के दाम आसमान छू रहे हैं। लेकिन क्या आपको लगता है कि दुनिया में बढ़ती महंगाई के लिए भारत भी किसी हद तक जिम्मेदार है?
कुछ अर्थशास्त्री मानते हैं कि भारत जैसे बड़े देशों की नीतियाँ भी वैश्विक बाजार को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, हाल ही में भारत ने गेहूं और चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में इनके दाम बढ़ गए। वहीं भारत रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीद कर दुनिया के तेल बाजार में संतुलन को प्रभावित कर रहा है। कुछ देशों का मानना है कि इससे ग्लोबल सप्लाई चेन में अस्थिरता आती है।
लेकिन दूसरी तरफ, भारत की जनसंख्या बहुत बड़ी है और यहाँ सरकार को पहले अपने देश की जनता के हितों को देखना पड़ता है। अगर भारत गेहूं और चावल का निर्यात करता रहे और यहाँ के गरीब लोग भूखे रह जाएं तो यह भी सही नहीं होगा। यही वजह है कि कुछ लोग कहते हैं कि भारत का यह कदम बिल्कुल सही था और हर देश को अपने हितों की रक्षा करनी चाहिए।
दूसरी ओर, पश्चिमी देश तेल और गैस पर रूस पर प्रतिबंध लगाते हैं लेकिन भारत उनसे सस्ता तेल खरीदता है। इससे रूस की अर्थव्यवस्था को फायदा होता है और पश्चिमी देशों को नुकसान। यहाँ सवाल उठता है – क्या यह वैश्विक स्तर पर महंगाई बढ़ाने में योगदान कर रहा है या फिर भारत की जनता को फायदा पहुँचा रहा है?
👉 अब आपकी बारी है सोचने की।
क्या आपको लगता है कि भारत की नीतियाँ भी दुनिया में बढ़ती महंगाई के लिए जिम्मेदार हैं या भारत सिर्फ अपनी जनता के हितों की रक्षा कर रहा है?
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