बिहार चुनाव में वोट पाने के लिए राजनीतिक पार्टियाँ अलग-अलग तरीके अपनाती रही हैं। लेकिन इस बार कांग्रेस ने एक ऐसा कदम उठाया जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई।
हाल ही में खबर आई कि कांग्रेस पार्टी ने बिहार चुनाव प्रचार के दौरान महिलाओं को 5 लाख सैनिटरी पैड बांटे। सुनने में ये एक अच्छा कदम लगता है क्योंकि महिलाओं की सेहत और स्वच्छता एक गंभीर मुद्दा है। लेकिन असली विवाद तब शुरू हुआ जब लोगों ने देखा कि इन पैड्स के पैकेट पर ही नहीं बल्कि पैड के अंदर भी राहुल गांधी की तस्वीर छपी हुई थी।
लोगों ने सवाल उठाया कि,
🔴 क्या महिलाओं के ऐसे प्राइवेट प्रोडक्ट का राजनीतिक प्रचार में इस्तेमाल करना सही है?
🔴 क्या ये महिलाओं की भावनाओं और उनकी इज्जत के साथ खिलवाड़ नहीं?
🔴 क्या कांग्रेस को सिर्फ पैड बांटने तक ही सीमित रहना चाहिए था, तस्वीरें छापने की क्या जरूरत थी?
कांग्रेस के समर्थकों का तर्क है कि कम से कम उन्होंने महिलाओं की सेहत के लिए कुछ तो किया। उनका कहना है कि अगर किसी कंपनी का लोगो या ब्रांड नाम छप सकता है, तो पार्टी का नाम या नेता की फोटो भी। वहीं दूसरी ओर, बीजेपी और कई महिला संगठन इसे महिलाओं का अपमान बता रहे हैं।
सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे हैं –
"नेता की तस्वीर सिर्फ पैकेट पर होती तो भी ठीक था, लेकिन अंदर पैड पर छापना बहुत घटिया प्रचार है।"
कुछ लोग राहुल गांधी का मजाक भी उड़ा रहे हैं और इसे Congress की गिरती राजनीति का नमूना बता रहे हैं।
सवाल यह नहीं है कि कांग्रेस ने सैनिटरी पैड क्यों बांटे। सवाल यह है कि क्या हर चीज को राजनीतिक प्रचार का जरिया बना देना चाहिए?
आज भी भारत के गांवों और छोटे शहरों में सैनिटरी पैड को लेकर शर्म और झिझक का माहौल है। अगर पार्टी सच में महिलाओं की मदद करना चाहती तो बिना प्रचार के भी ये किया जा सकता था। लेकिन तस्वीरें छापने से उद्देश्य कहीं न कहीं vote bank politics ज्यादा लगती है।
अब बारी आपकी है…
🗳️ पोल का रिजल्ट देखने के लिए कृप्या पहले वोट करें!
👉 आपको क्या लगता है –
क्या नेताओं की तस्वीर sanitary pad जैसे products पर छापना सही है या यह महिलाओं के सम्मान के खिलाफ है?
अपनी राय जरूर दें और poll में vote करें। India Speak Out पर अपनी आवाज उठाएं।
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