पिछले कई वर्षों से भारत United Nations Security Council (UNSC) का स्थायी सदस्य बनने की कोशिश कर रहा है। फिलहाल UNSC के पांच स्थायी सदस्य हैं – अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन। भारत का कहना है कि दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक आबादी होने के नाते और वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी भूमिका को देखते हुए उसे भी इस जगह का हक है।
हाल ही में PM नरेंद्र मोदी ने G7 समिट और अन्य मंचों पर फिर से यह मुद्दा उठाया। अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे देशों ने भी भारत की दावेदारी का समर्थन किया है। लेकिन चीन अभी भी भारत का विरोध कर रहा है। चीन मानता है कि अगर भारत स्थायी सदस्य बन गया तो एशिया में उसका वर्चस्व कम हो जाएगा।
भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उसकी सैन्य ताकत भी लगातार बढ़ रही है और वह शांति मिशनों में सबसे ज्यादा सैनिक भेजने वाला देश है। फिर भी उसे वीटो पावर नहीं मिलती। भारत में लोग मानते हैं कि UNSC का स्ट्रक्चर पुराना हो चुका है और 1945 के बाद दुनिया बहुत बदल चुकी है।
दूसरी तरफ, कुछ लोग कहते हैं कि भारत को पहले अपने देश की गरीबी, बेरोजगारी और स्वास्थ्य जैसी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। उनका तर्क है कि UNSC में स्थायी सदस्यता से भारत की छवि तो मजबूत होगी लेकिन क्या इससे आम आदमी को फायदा मिलेगा?
यह मुद्दा सिर्फ डिप्लोमेसी का नहीं, बल्कि भारत के गौरव और उसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान का भी है। अगर भारत को स्थायी सदस्यता मिल जाती है तो वह हर वैश्विक निर्णय का हिस्सा होगा और वीटो पावर के जरिए दुनिया की नीतियों को प्रभावित कर सकेगा।
👉 अब सवाल यह है –
क्या आपको लगता है कि भारत को United Nations Security Council का स्थायी सदस्य बन जाना चाहिए या फिलहाल भारत को अपने अंदरूनी मुद्दों पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए?
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